ब्लैक बैंगल्स चैप्टर 27
ब्लेक बेंगल्स चेप्टर 27
" के एम करिअप्पा की फिकर"
अब तक आपने पढ़ा.. ज्योति कबीर से ऐरपोर्ट पर मिलती है और थोड़ी बात करके उसकी बात सुने बिना वहाँ से चली जाती है वही विक्रम सिंह ज्योति को देवांश से रिलेटेड मिशन पर जाने से मना कर देते हैं बहुत मनाने पर फैसला के एम करियप्पा को सोम्प् वहाँ से चले जाते हैं देवांश किसी नई चाल चलने के बारे मे सोच कर पटना से निकल जाता है....
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"अब आगे"
"ओब्रोइ इंडस्ट्रीज़ "
कबीर अपने ऑफिस आता है और चेअर पर बैठ पेपर वेट से खेलते हुए सोचता है...."कुछ तो छुपा रही हो तुम ज्योति लेकिन तुम पर चाह कर भी शक नही कर सकता मै प्लिज़ धोखा नही देना प्लीज़ "
कबीर कुछ सोचता है फिर किसी को कॉल करता है और कहता है "मुझे दिल्ली पब्लिक स्कूल में पढ़ाने वाली टीचर की सारी इंफॉर्मेशन चाहिए..जिसने कुछ दिन पहले ही रिजाइन किया है" फिर थोड़ा ज़ोर देते हुए कहता हैं.."और मुझे पूरी इंफॉर्मेशन चाहिए" इतना कहकर कबीर कॉल कट कर देता है
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"पटना ऐरपोर्ट"
देवांश ऐरपोर्ट पर बैठा कुछ सोच रहा था ......देवांश की फ्लाइट की अनाउंसमेंट् होती है.. देवांश फ्लाइट की तरफ चल देता है
"मुलाकातें अधूरी रही मुक्कमल करूँगा ये वादा रहा".. गाते हुए देवांश आगे बढ़ जाता है...
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"दिल्ली"
विक्रम सिंह के जाने के बाद मिस्टर करियप्पा एक दम से चिल्लाते हुए केहते हैं "तुम पागल हो गई हो दिमाग खराब है.. अपनी जिंदगी को जहाँनुम् बनाने पर तुली हो...वो देवांश है ...देवांश...कोई आम आदमी नही... जैसे इस बार तुमने लापरवाही की है अगर दुबारा हुई तो बर्बाद हो जाओगी"
ज्योति मिस्टर करियप्पा को देखते हुए केहती है... "आप भी जानते हैं ये मै पहली बार नही कर रही हु" मिस्टर करियप्पा थोड़ा सख्त लहजे मे कहते हैं "हर बार सिर्फ मौत का डर रहता था लेकिन इस बार.... "
मिस्टर करियप्पा अपनी बात अधुरी छोड़ देते हैं ज्योति उन्हे बहुत ध्यान से देख रही थी फिर नज़रे झुका कर केहती है "आप को किस बात का डर है.. मेरा, मेरी इज़्ज़त का या फिर...
थोड़ी देर खामोश रहती है फिर फिर मिस्टर करियप्पा की आँखो मे देखते हुए केहती है.." या इस बात का की मै विराज के लायक नही रहूँगी "
मिस्टर करियप्पा अफसोस भरी नजरों से देखते हुए कहते हैं "वो प्यार करता है तुमसे..काबिल है तुम्हारे"
ज्योति उन्हे देखते हुए केहती है "आपने हमेशा मेरा साथ दिया है, हमेशा मुझे सपोर्ट किया है, फिर आज सिर्फ इस वजह से की विराज मुझे पसंद करता है मैं अपनी जिम्मेदारियां छोड़ दूं, मैं अपने देश को ऐसे ही मुसीबत में छोड़ दूँ,
आप भी जानते हैं मोहब्बत शर्तों पर नहीं की जाती, और अगर वह मुझे पसंद करता भी है, तो मै तो नहीं करती ना, मैं तब भी उसकी अच्छी दोस्ती थी, मैं आज भी उसकी अच्छी दोस्त हूं लेकिन इससे ज्यादा मेरा उसका कोई रिश्ता नहीं हो सकता, मेरा अपना एक मकसद है जिसे मैं नहीं भूल सकती"
इतना कहकर ज्योति सेल्यूट करती है और वहां से निकल जाती है मिस्टर करिअप्पा उसे जाते हुए देखते रहते हैं फिर वह भी वहां से निकल जाते हैं....
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"ओब्रोइ इंडस्ट्रीज़"
शाम के समय कबीर अपनी चेअर् पर बैठा पेपर वेट से खेल रहा था.... तभी उसके कैबिन का दरवाजा खुलता है और करीब 35-36 साल का एक आदमी अंदर आता है.. और कबीर को एक फाइल देते हुए कहता है... "सर ये मिस ज्योति की इंफोर्मेशन है"
कबीर उसके हाथ से फाइल ले लेता है... "तुम जाओ" वो आदमी ओके केहकर ऑफिस से बाहर निकल जाता है...
कबीर कुछ देर उस फाइल को देखता है फिर पढ़ने लगता है..
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"दिल्ली एयरपोर्ट"
ज्योति बहुत देर से एयरपोर्ट के बाहर खड़ी किसी का इंतजार कर रही थी..... वो अपनी घड़ी मैं देख रही थी तभी उसके सामने एक आदमी खड़ा हो जाता है ज्योति घबराकर अपना सर ऊपर करती है तो देखती है यह और कोई नहीं अरमान था....ज्योति अपने दिल पर हाथ रखते हुए कहती है ......."तुमने तो डरा ही दिया था ऐसे कौन ही करता है"
अरमान हंसते हुए कहता है "तुम्हें डर भी लगता है..ऐसा लगता तो नहीं" ज्योति थोड़ा सीरियस होते हुए कहती है....हर इंसान को डर लगता है...और मैं भी एक नॉर्मल इंसान ही हूं , खैर तुम उसे लेकर आए हो"
अरमान अपने पीछे इशारा करते हुए कहता है "खुद देख लो" ज्योति जब अरमान के पीछे देखती है तो दो आदमियों ने अविनाश को पकड़ रखा था
ज्योति थोड़ा मायूस होते हुए कहती हैं "कभी सोचा भी नहीं था कि अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए...एक देशद्रोही का इस्तेमाल करना पड़ेगा"
अरमान कहता है "कभी-कभी गलत को सही साबित करने के लिए गलत का ही इस्तेमाल करना पड़ता है"..ज्योति हाँ में सर हिला देती है अरमान कहता हैं
"मैं थोड़ा थक गया हूं फ्रेश हो जाऊं उसके बाद हेडक्वार्टर चलते हैं" ज्योति कहती है "अभी टाइम है विक्रम सर को 9:00 बजे रिपोर्ट करना है"
अरमान चौकते हुए कहता है "रात को 9:00 बजे" ज्योति केहती है हाँ
अरमान उबते हुए कहता है "लेकिन क्यों" ज्योति कार में बैठते हुए कहती है "तुम जानते हो मैं सर को मना नहीं कर सकती" अरमान अपनी आंखें घुमाते हुए कहते हैं "हाँ हाँ जानता हूँ"
अरमान अविनाश को गाड़ी के पीछे वाली सीट पर बैठाता है...और खुद गाड़ी ड्राइव करते हुए वहां से निकल जाता..
होटल पहुंचकर अरमान अविनाश को लेकर होटल रूम में चला जाता है ....ज्योति भी अपने रूम में चली जाती है
सब अपने मे व्यस्त हो जाते हैं...
शाम को करीब 7:00 ज्योति का फोन बजता है ज्योति जब फोन देखती है उसपर कबीर नाम फ्लेश हो रहा था.... ज्योति फोन उठाती है और कबीर के कुछ बोलने से पहले ही कहती है.."सॉरी कबीर वो मैं थोड़ा जल्दी में थी ...इसलिए तुम्हारी बात सुने बिना निकल गई...उम्मीद है बुरा नहीं मानोगे...तुम जब फ्री हो मुझे टाइम बता दो मैं आकर मिल लूँगी तुमसे....
कबीर सीधे से कहता है "10 मिनट में मुझे मेरे ऑफिस में मिलो" ज्योति कुछ कहने वाली होती है उससे पहले ही कबीर कॉल कट कर देता है
किस मुलाकात की बात कर रहा है देवांश ? क्या फैसला लेंगे के एम करिअप्पा ? क्या ज्योति को यह मिशन मिलेगा? और क्यों बुलाया है कबीर ने ज्योति को मिलने के लिए?
जाने के लिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी ब्लैक बैंगल्स मिलते हैं अगले चैप्टर में
..............बाय-बाय..........
madhura
11-Aug-2023 07:07 AM
Nice part
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Rajeev kumar jha
31-Jan-2023 01:06 PM
Nice part 👌
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Gunjan Kamal
29-Jan-2023 11:33 AM
बेहतरीन
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